Economic Survey 2023: आर्थिक सर्वेक्षणकी मुख्य बाते

BUDGET 2023-

Economic Survey 2023: आर्थिक सर्वेक्षणकी मुख्य बाते

Economic Survey (2022-2023)-

वित्त वर्ष 2022-23 का आर्थिक सर्वेक्षण केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से संसद में पेश कर दिया गया है आर्थिक सर्वेक्षण वित्त मंत्री मंत्रालय द्वारा जारी की गई एक वार्षिक रिपोर्ट है  पिछले 1 साल में देश की आर्थिक प्रगति और प्रदर्शन का लेखा-जोखा होता है इसे हर साल बजट से पहले पेश किया जाता है आर्थिक समीक्षा सरकार की ओर आम बजट से 1 दिन पहले पेश करने की परंपरा होती है इसमें केंद्र सरकार ने यह बताया है कि भारत आगे भी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा जो काफी महत्वपूर्ण बात है हमारे भारत के लिए/

 

आर्थिक सर्वेक्षणकी मुख्य बाते-

  • चालू वित्त वर्ष की विकास दर 7% के मुकाबले देश की अर्थव्यवस्था 2023-24 में 6.5% की दर से बढ़ेगी 2021-22 के दौरान यह आंकड़ा 11% का था वही अगले वित्त वर्ष में नॉमिनल टर्न में 11% की दर से बढ़ेगी/
  • रियल जीडीपी विकास दर 6-6.8 प्रतिशत के आसपास रह सकता है, हालांकि, इकोनॉमिक और राजनीति माहौल पर निर्भर करता है
  • विकास दर को निजी का पथ अधिक क्या पैसे मजबूत कारपोरेट बैलेंस छोटे व्यवसाय द्वारा लोन की मांग और शहरों में मजबूत मजदूरों की वापसी से सहारा मिला है कोरोना की चुनौतियों से देश उबर चुका है/
  • PPP क्रश शक्ति समानता के मामले में भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो गई है विनिमय दर के मामले में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है/
  • महामारी और यूरोप में हो रहे संघर्ष की वजह से अर्थव्यवस्था ने जो खोया था उसे लगभग फिर से प्राप्त किया है जो रुक गया था उसका नवीनीकरण हुआ है और जो धीमा हुआ था वह पुनर्जीवित हो चुका है
  • सर्वे में बताया गया है कि महंगाई अधिक रहने के कारण ब्याज दरें उच्च स्तर पर रह सकती हैं
  • दुनिया में सबसे तेजी से विकसित हो रही है बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा चालू वित्त वर्ष में जीडीपी का विकास दर 7% रहने का अनुमान है पिछले वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था 8% की दर से विकसित हुई थी
  • रियल जीडीपी विकास दर 6-6.8 प्रतिशत के आसपास रह सकता है, हालांकि, इकोनॉमिक और राजनीति माहौल पर निर्भर करता है।
  • छोटे व्यवसायों के लिए लोन की मांग में जनवरी नवंबर के बीच 30.5% बढ़ने की बढ़ते देखने को मिलती है
  • चालू वित्त वर्ष में सरकार की पूंजीगत व्यय 63.4% से बढ़ा है
  • सर्वे में बताया गया है  अधिक रहने के कारण ब्याज दरें उत्तर पर रह सकती हैं
  • चालू खाता घाटा -(Current account deficit) बढ़ने की संभावना है। इस पीछे की वजह कमोडिटी की कीमत उच्च स्तर पर रहना है। इस कारण डॉलर के मुकाबले रुपये पर भी दबाव बना रह सकता है। आरबीआई के ताजा डाटा के मुताबिक, सितंबर तिमाही में चालू खाता घाटा बढ़कर जीडीपी का 4.4 प्रतिशत रह सकता है, जो कि अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी का मात्र 2.2 प्रतिशत था।-

 

Economic Survey 2023 pdf click

 

 

Leave a Comment

x