रवीश ने आख़िर इस्तीफ़ा क्यों दिया -रवीश कुमार का अगला क़दम क्या होगा?

इसके जवाब में उन्होंने कहा कि दुनिया भर के लोग उनकी मदद करने के लिए आगे आए हैं और लोगों के समर्थन के कारण ही उनका यू-ट्यूब चैनल इतनी जल्दी इतना लोकप्रिय हो गया है.

उन्होंने कहा, “जो लोग लोकतंत्र को मुर्दा बनाना चाहते हैं, मैं उनको बताना चाहता हूं कि अभी वो ज़िंदा है.”

उन्होंने कहा कि फ़िलहाल वो यू-ट्यूब ही चलाते रहेंगे और ग्राउंड रिपोर्ट के लिए ज़रूरी संसाधन फ़िलहाल उनके पास नहीं है.

उन्होंने कहा कि वो धीरे-धीरे सीढ़ियां चढ़ना चाहते हैं. उन्होंने एक भोजपुरी यू-टयूब चैनल भी शुरू किया है.

उन्होंने इसका भी ज़िक्र किया और कहा कि उनकी मातृभाषा भोजपुरी है, हिंदी नहीं. रवीश कुमार के अनुसार, उन्होंने मराठी समाज से अपनी भाषा और संस्कृति का सम्मान करना सीखा है.

रवीश कुमार

इसके जवाब में रवीश कुमार ने 25 नवंबर को गौतम अदानी के फ़ाइनैंशियल टाइम्स को दिए इंटरव्यू का ज़िक्र किया.

उस इंटरव्यू में अदानी ने कहा— था कि ‘सरकार की आलोचना कर सकते हैं, लेकिन सरकार अगर अच्छा काम कर रही है तो आपको उसकी तारीफ़ करने का गट्स भी होना चाहिए.’

रवीश ने कहा कि वो एडिटोरियल मीटिंग में भी शामिल नहीं होते थे. हालांकि उन्होंने यह भी साफ़ किया कि वो अपने प्राइम टाइम शो के लिए ना सिर्फ़ एनडीटीवी के साथियों से बल्कि कई बार बाहर के लोगों से भी प्रोग्राम के बारे में विचार-विमर्श करते थे.

उन्होंने कहा कि एक बार स्क्रीन को काला करने का फ़ैसला भी उनका था और अगले दिन भी किसी ने उनसे इस बारे में नहीं पूछा. उनके अनुसार, दूसरे प्रोग्राम के लोग भी पूछने लगे कि क्या वो उसको चला सकते हैं.—

रवीश कहते हैं, “मैंने यह सोचा कि यह मेरे लिए एक एडिटोरियल निर्देश है, जिन्हें नहीं लगा वो आज वहां काम कर रहे हैं. मुझे लगा कि यह मेरी तरफ़ भी इशारा है.”

वो आगे कहते हैं, “बीच में लगता था कि यह देश कभी इतना कमज़ोर नहीं होगा. इसके उद्योगपति इतने बुज़दिल नहीं होंगे कि एक पत्रकार को बर्दाश्त नहीं किया जा सकेगा. लेकिन उद्योगपति ही डरपोक निकल गए. मेरे दरवाज़े बंद हैं. अगर- यूट्यूब जैसा कोई माध्यम नहीं होता तो मैं इस प्रोफ़ेशन से 10 रुपए भी नहीं कमा सकता था.”…..

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